सुन पायल की झंकार,झूम रहा संसार
चक्षु अंतर नेह सरिता ।हावभाव मस्त मलंग ,
प्रलंब प्रभा अमिय धारिता ।
चाल ढाल सुधि बिंदु,
मोहक सोहक सौंदर्य अलंकार।
सुन पायल की झंकार,झूम रहा संसार।।
पट प्रसून हिय प्रिय,
आत्मिकता चरम स्पंदन।
सहज सरस वैचारिकी,
शर्म संकोच नैसर्गिक मंडन ।
रूप अनुपमा सम्मोहिनी,
कदम लय मधुर टंकार ।
सुन पायल की झंकार,झूम रहा संसार।।
बिंदी सिंदूर श्रृंगार अहम,
चूड़ी झांझर मधुर खनक ।
अधर पर्याय तृषा तृप्ति,
शब्द संकेत खुशियां जनक ।
पुरात्तन संग अधुना समन्वय,
लोक राग रंग खुशियां संचार।
सुन पायल की झंकार,झूम रहा संसार।।
स्वर मधुरिम कर्ण प्रिय,
प्रीतम सम आकर्षण ।
रग रग अथाह तरूणाई ,
मिलन हेतु सर्वस्व अर्पण ।
जीवन प्रतिपल आनंद निर्झर,
परिणय पथ स्वप्न साकार ।
सुन पायल की झंकार,झूम रहा संसार।।
*कुमार महेन्द्र*
(स्वरचित मौलिक रचना)
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