जीत तो सकते कभी नहीं,
हम तो सदा ही सबसे हारेंगे।जब खुद को सुधार सकते नहीं,
फिर दूसरे को क्या सुधारेंगे।।
अच्छा कहो तब भी,
यहाँ सुनने वाला कौन है।
सबका अपना निर्धारित पथ है,
इसलिए सब कोई मौन है।।
मेरा हठ है कि ज्ञान बाटेंगे,
जो नहीं सुनेगा, उसे डाटेंगे।
यह मात्र अरण्य क्रंदन है,
फिर भी यही मेरा वंदन है।।
अच्छा सदा अच्छा ही होता है,
यही इस जगत की सच्चाई है।
बुरे पथ को छोड़ देने में ही,
सुधार और सबकी भलाई है।।
जय प्रकाश कुंवर
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