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जहाँ जहाँ से बात बने बस वहीं वहीं सब जाते हैं।

जहाँ जहाँ से बात बने बस वहीं वहीं सब जाते हैं।

डॉ. मेधाव्रत शर्मा, डी•लिट•
(पूर्व यू.प्रोफेसर)
जहाँ जहाँ से बात बने बस वहीं वहीं सब जाते हैं।
जहाँ जहाँ से जेब भरे शहनाई वहीं बजाते हैं।
जो जो पीटे ढोल हमारा वही वही सर-आँखों पर,
ताली-थाल बजा कर हम तो जालिम भूत भगाते हैं।
झंडाबरदारी में माहिर,पाबोसी-ए-काबिल जो,
लेहाजा हाकिम बन कर वे दौलत खूब कमाते हैं।
चतुर वही जो काम निकाले गदहे को भी कहकर बाप,
भेख-भीख के आलिम दुनिया में हुशियार कहाते हैं।
आत्मा का सौदा करने से मर जाना बेहतर है,
ईमानो खुद्दारी से हम खुशी हक़ीक़ी पाते हैं।

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