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अस्तित्व

अस्तित्व

मैं अपनी जिंदगी का
सदा अस्तित्व चाहता हूँ।
और अपनी इच्छाओं का
हनन मैं कर नही सकता।
इसलिए जो मन कहता
मैं उन्हें ही पूरा करता हूँ।
और अपने अस्तित्व को
सदा ही जिंदा रखता हूँ।।


मिली है जिंदगी मुझको
मेरे अच्छे कर्मों से।
इसे मैं जीना चाहूंगा
अपनी इच्छाओं के अनुसार।
दमन मैं कर नही सकता
मैं खुदके अरमानों का।
इसलिए करता हूँ कोशिश
खुशी से जीने मरने की।।


खुशी के पलओं को देखों
मैं हँसी खुशी से जीत हूँ ।
मेरी जिंदगी का हसूल है
जीओं और जीने दो का।
इसलिए तो मिला मुझको
सुकून से जीने का मौका।
जो मेरे अस्तित्व को जिंदा
रखने के लिए काफी है।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई


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