चलो बिहारी चलें बिहार
तन मन से हम होकर तैयार ,मन में लेकर खुशियाॅं अपार ,
आया आज संकल्प दिवस ,
चलो बिहारी चलें हम बिहार ।
चलो बिहारी चलें हम बिहार ,
पाटलिपुत्र में बापू सभागार ,
बिहार दिवस के उपलक्ष्य में ,
नव बिहार पे करें हम विचार ।
आज हमारा एक ही विकल्प ,
एक ही हमारा प्यारा संकल्प ,
नव हमारा हो विवेक आचार ,
नव बिहार का हो कायाकल्प ।
अन्य प्रदेश बिहारी ने बसाया ,
बना बसा विकसित कराया ,
सिवा एक अपमान का वह ,
सम्मान कहाॅं उसने है पाया ।
आओ अपना घर द्वार बनाऍं ,
अपने घर हम उद्योग लगाऍं ,
अपना हम व्यापार बढ़ाकर ,
स्वजीवन अपने घर टिकाऍं ।
बहुत किया है हमने उपकार ,
बदले में मिला सदा अपकार ,
नमक रोटी स्वघर का बेहतर ,
घर त्याग पलायन रुकवाऍं ।
हमारा बिहार कर रहा पुकार ,
स्व परिवार को देना आकार ,
मेरे लाल खाऍं दर दर ठोकरें ,
नहीं मुझे अब यह स्वीकार ।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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