पुस्तक-महोत्सव में आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन, तालियों से गूँजता रहा सभागार

पटना, २४ मार्च। अंतर्राष्ट्रीय मंचों के लोकप्रिय कवि पं बुद्धिनाथ मिश्र ने जैसे ही अपने गीत की ये पंक्तियाँ पढ़ी कि- “-ज़रूरत क्या तुम्हारे रूप को ऋंगार करने की! किसी हिरणी ने अपनी आँख मेन काजल लगाया क्या”, पटना पुस्तक महोत्सव का विस्तृत सभागार तालियों से गूंज उठा। अगली पंक्तियाँ श्रोताओं के दिल में ऐसी उतरी की चारों तरफ़ वाह-वाह और आह-आह के ही स्वर थे- “ऐसा लगता है, मैं मरूँगा नहीं/मरना होता तो आप पर मरता"। उन्होंने चैत पर एक विरह गीत पढ़ते हुए कहा- “ साँसों के गजरे कुम्हलाए, आप न आए/ बाँहों के गुदने अकुलाए आप न आए!”
सोमवार को पुस्तक मेला के मंच पर कोलकाता के प्रकाशन संस्थान 'सदीनामा प्रकाशन' तथा बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संयुक्त तत्त्वावधान में, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में एक भव्य कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
युवा कवयित्री संस्कृति मिश्र ने प्रेम की इन पंक्तियों से श्रोताओं का दिल जीत लिया कि " मेरा तुमसे रिश्ता वैसा, जैसा साँसों का धड़कन से/ या फिर जैसा दक्षिण पवन का मलयागिरी के चंदन वन से!"
वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण, वरिष्ठ कवयित्री डा भावना शेखर, सिद्धेश्वर, ब्रह्मानंद पांडेय, सुनील कुमार, डा नागेंद्र शर्मा, इंदु उपाध्याय, प्रीति सुमन, कुमार अनुपम, अविनाश बंधु, ऋचा वर्मा, कुमार पंकज, डा रंजीता तिवारी, डा मीना कुमारी परिहार, शमा कौसर शमा, श्रुतकीर्ति अग्रवाल, सरिता सिन्हा, अमित तिवारी, अविनाश बंधु, कुमार मंगलम, मीनाक्षी सानोरिया, राज प्रिया रानी, एम के मधु, डा सुधा सिंहा, ईं अशोक कुमार, पंकज प्रियम, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, कमल नयन श्रीवास्तव, डा दिनेश दिवाकर आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन 'सदीनामा' के संपादक और कवि जीतेन्द्र जितांशु ने किया।
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