रिश्तों की डोर: घड़ी की सुइयों से सीख
हमारे जीवन में रिश्तों की अहमियत उतनी ही गहरी होती है जितनी एक घड़ी की सुइयों की। घड़ी की सुइयाँ भले ही अलग-अलग गति से चलती हैं—कोई तेज़, तो कोई धीमी—लेकिन वे हमेशा एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं और आपस में जुड़े रहती हैं। ठीक उसी तरह, हमारे रिश्ते भी भिन्न व्यक्तित्वों, सोच और जीवनशैली के बावजूद साथ निभाने की मांग करते हैं।कई बार, जीवन की आपाधापी में कुछ लोग हमसे आगे निकल जाते हैं, तो कुछ पीछे छूट जाते हैं। लेकिन असली मायने इस बात के हैं कि हम उनसे जुड़े रहें, चाहे वे किसी भी गति से चल रहे हों। तेज़ चलने वालों को धीमों का ख्याल रखना चाहिए, और धीमे चलने वालों को तेज़ गति वालों का सम्मान करना चाहिए। रिश्तों में सामंजस्य और निरंतरता ही सच्ची घनिष्ठता को जन्म देती है।
इसलिए, घड़ी की सुइयों से सीख लेकर हमें अपने रिश्तों को संजोकर रखना चाहिए। मतभेद हों या जीवन की व्यस्तताएँ, हमें अपने अपनों के साथ जुड़े रहना चाहिए। यही जुड़ाव हमारे जीवन को सुखमय और संतोषप्रद बनाता है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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