Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

मन फाल्गुन तन बसंत,होली के हुड़दंग में

मन फाल्गुन तन बसंत,होली के हुड़दंग में

लोक छटा मोहक सोहक,
सर्वत्र आनंद अठखेलियां ।
प्रेम बसंती चरम बिंदु,
सुलझन गुत्थी पहेलियां ।
जननी जन्म धरा आह्लाद,
लौटते कदमों पर दंभ में।
मन फाल्गुन तन बसंत,होली के हुड़दंग में ।।


अंतर्संबंध नेह अभिव्यंजना ,
अपनत्व सरित प्रवाह ।
निर्वहन परंपरा सुसंस्कार,
लोक संस्कृति तरंग अथाह ।
धूमिल वैमनस्य उग्र आवेश,
खुशियां निर्झर जन उत्संग में ।
मन फाल्गुन तन बसंत,होली के हुड़दंग में ।।


हास्य परिहास अंगिता,
मधुर अभिव्यक्ति लोक संवाद।
मान सम्मान स्नेह दुलार,
उत्सविक प्रसरण निर्बाध ।
सर्व धर्म सद्भाव छटा,
प्रेम भाईचारा दर्शन लोक रंग में ।
मन फाल्गुन तन बसंत,होली के हुड़दंग में ।।


पटाक्षेप हिरण्यकश्यपता,
नमन आचमन प्रह्लाद भक्ति ।
सत्य रथ आरूढ़ संकल्प,
लोक अनुभूत विजय शक्ति ।
हाव भाव मद मस्त,
यौवन उभार अंग प्रत्यंग में ।
मन फाल्गुन तन बसंत,होली के हुड़दंग में ।।
कुमार महेंद्र


(स्वरचित मौलिक रचना)


हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ