मैं रम जाऊं तेरे रंग में
मैं रम जाऊं तेरे रंग में माधव मेरे रंग रसिया।मेरे मनमोहन तू आजा आजा रे मन बसिया।
मदन मुरारी ओ बनवारी रंग बरसे गिरधारी।
हे कन्हैया फाग खेले भर भरकर पिचकारी।
रंग अबीर गुलाल उड़ रहे रंग रहे गोरे गाल।
केसर क्यारी महक रही प्रीत के छेड़े धमाल।
झूम रहे नर नार मस्त हो खेल रहे सब होली।
फागुन आया रंग रंगीला फाग गा रही टोली
माधव तेरे रंग में राधा सुध बुध सारी खोई।
तेरा प्रेम जगत में सच्चा जान सके ना कोई।
चंग बांसुरी धुन पर नाचे थिरक थिरक राधा।
तारनहार कुंज बिहारी हर लेते संकट बाधा।
कृष्ण प्रेम का रंग चढ़ा है मीरा हो गई दीवानी।
हंसकर पी गई विष प्याला अमर हुई कहानी।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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