जयति जय जय राजस्थान
धरा अंतर सौंधी सुगंध,
अनंत स्नेह प्रेम वंदन ।
अद्भुत अनुपम संस्कृति,
रग रग अपनत्व स्पंदन ।
राष्ट्र विजय भव मूल मंत्र,
परिवेश उत्संग शौर्य उफान ।
जयति जय जय राजस्थान ।।
अदम्य साहस उत्सर्ग गाथा
गौरव अभिरक्षित इतिहास ।
लोक राग रंग छटा अद्भुत,
संघर्ष सह विजय उल्लास ।
रज रज हल्दीघाटी सौरभ,
नर नारी प्रताप पन्ना समान ।
जयति जय जय राजस्थान ।।
सर्वत्र रजपूती आन बान शान,
जनमानस देशभक्ति सराबोर ।
शिक्षा विज्ञान अग्र कदम,
विकास क्षेत्र कीर्तिमानी भोर ।
अरावली यौवन छटा अनूप,
मस्त मलंग सम रेगिस्तान ।
जयति जय जय राजस्थान।।
संबंध शोभा समर्पण भाव ,
मर्यादा संस्कार अनुपालन ।
परा परंपरा अमूल्य विरासत,
घट पट आत्मीयता बिछावन ।
मातृभूमि प्रकृति प्राण प्रिय,
जीवन ध्येय रक्षा स्वाभिमान ।
जयति जय जय राजस्थान ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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