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पावन अति मनभावन पर्व गणगौर

पावन अति मनभावन पर्व गणगौर

परिवेश पटल वासंती उमंग,
मृदुल मधुर अंतर श्रृंगार ।
प्रकृति अल्हड़ मस्त मलंग,
चिन्मयी स्पर्श पल्लव आधार ।
शिव पार्वती अवतरण वैभव,
आराधना स्तुति नवल भोर ।
पावन अति मनभावन पर्व गणगौर ।।


गण उपमित शिव जी शोभा,
गौर अनुपमा मां पार्वती ।
सर्वत्र शुभता श्री अभिषेक ,
पूर्ण मनोकामना पावती ।
पति दीर्घायु श्रेष्ठ वर चाहना,
भावना उभार चारों ओर ।
पावन अति मनभावन पर्व गणगौर ।।


मंगल चैत्र शुक्ल तृतीया,
रज रज आनंद उल्लास ।
आराधित बेला गणगौर ,
दांपत्य पथ दर्श उजास ।
वंदन अभिनंदन नारी जगत,
आदर सम्मान परम ठोर ।
पावन अति मनभावन पर्व गणगौर ।।


धर्म आस्था श्रृद्धा संग,
मर्यादा परंपरा भव्य निर्वहन।
अटूट निष्ठा स्पंदन शिखर,
अनंत आध्यात्म ओज संवहन ।
ईसर गौरी हार्दिक सत्कार,
लोक संस्कृति झलक सिरमौर ।
पावन अति मनभावन पर्व गणगौर ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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