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राम नाम की महिमा

राम नाम की महिमा

राम नाम की महिमा अपरंपार है।
इसे प्रेम से भजने वाले का बेड़ा पार है।।
राम नाम की महिमा का वर्णन करते हुए संत तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस में अनेकों दोहे और चौपाईयाँ लिखी हैं। सब का वर्णन किया जाय तो पुरा रामायण ही लिखा जाएगा। फिर भी अपने मन की शांति एवं मित्रों के कल्याण के लिए कुछ दोहे नीचे संकलित कर रहा हूँ, जिसे बार बार पढ़ने पर भी मन नहीं भरता है। इसी लिखने और पढ़ने के बहाने प्रभु श्री राम का नाम हम जैसे संसारी लोगों के जिह्वा पर कुछ क्षण के लिए भी तो कम से कम आएगा। जय श्री राम, जै जै श्री राम।
राम नाम नर केसरी , कनक सिपु कलिकाल।
जापक जन प्रहलाद जिमि, पालिहि दलि सुरसाल।।
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम ततुल्यम, श्री राम नाम बरानुने।।
राम नाम कलि कामतरू, राम भगति सुरधेनु।
सकल सुमंगल मूल जग, गुरुपद पंकज रेनु।।
राम नाम कलि अभिमत दाता।
हित परलोक , लोक पितु माता।।
बेद पुरान संत मत एहू।
सकल सुकृति फल राम सनेहू।।
राम नाम कलि कामतरू, सकल सुमंगल कंद।
सुमिरत कर तल सिद्धि सब, पग पग परमानंद।।
राम नाम मणि दीप धर, जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहिरो, जो चाहसि उजियार।।
नाम राम को कल्पतरु, कलि कल्यान निवास।
जो सुमिरत भयो भांग ते, तुलसी तुलसीदास।।
जय श्री राम, जै जै श्री राम  
जय प्रकाश कुंवर
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