ध्वजारोपण अर्थात् ब्रह्मध्वज खडा करने की एक पद्धति

अ. ब्रह्मध्वज अर्थात गुडी खडी करने के लिए आवश्यक सामग्री
हरा गीला १० फुट से अधिक लंबाई का बांस, तांबे का कलश, पीले रंग की सोने के तार की किनारवाला अथवा रेशमी वस्त्र, कुछ स्थानों पर लाल वस्त्र का भी प्रयोग किया जाता है, नीम के कोमल पत्तों की मंजरी सहित अर्थात पुष्पों(फूलों) सहित छोटी टहनी, शक्कर के पदकों की माला एवं पुष्पमाला (फूलों का हार), ध्वजा खडी करने के लिए पीढा ।
आ. गुडी सजाने की पद्धति
१. प्रथम बांस को पानी से धोकर सूखे वस्त्र से पोंछ लें ।
२. पीले वस्त्र की चुन्नट बना लें ।
३. अब उसे बांस की चोटी पर बांध लें ।
४. उस पर नीम की टहनी बांध लें ।
५. तदुपरांत उस पर शक्कर के पदकों की माला बांध लें ।
६. फिर पुष्पमाला (फूलों का हार) चढाएं ।
७. कलश पर कुमकुम की पांच रेखाएं प्रकार बनाएं ।
८. इस कलश को बांस की चोटी पर उलटा रखें ।
९. सजी हुई गुडी को पीढे पर खडी करें एवं आधार के लिए डोरी से बांधें ।
इ. ब्रह्मध्वज को सजाने के उपरांत उसके पूजन के लिए आवश्यक सामग्री
नित्य पूजा की सामग्री, नववर्ष का पंचांग, नीम के पुष्प (फूल) एवं पत्तो से बना नैवेद्य । यह नैवेद्य बनाने के लिए नीम के पुष्प (फूल) एवं १०-१२ कोमल पत्ते, ४ चम्मच भिगोई हुई चने की दाल, १ चम्मच जीरा, १ चम्मच मधु (शहद) तथा स्वाद के लिए एक चुटकी भर हिंग लें । इस सामग्री को एक साथ मिला लें एवं इस मिश्रण को पीसें । यह बना ध्वज को समर्पित करने के लिए नैवेद्य । वर्षारंभ के दिन ब्रह्मध्वजा को निवेदित करने के लिए यह विशेष पदार्थ बनाया जाता है एवं उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है । कई स्थानों पर इसमें काली मिर्च, नमक एवं अजवाईन भी मिलाते हैं । नीम के पत्तों से बने प्रसाद की सामग्री में इस दिन जीवों के लिए आवश्यक ईश्वरीय तत्त्वों को आकृष्ट करने की क्षमता अधिक होती है ।
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