मां दुर्गे को नमन
जगत जननी मां दुर्गे को नमन।भक्त थाली को सजाता
मां दुर्गे की आरती उतारता।
उन्हें हृदय से पुकारता
हमेशा अग्रसर होने का प्रयास करता।
जगत जननी मां दुर्गे को नमन।
सारे जहां से प्यारा
सबका हो न्यारा।
आततायी महिषासुर को
मां दुर्गे ने संहारा।
जगत जननी मां दुर्गे को नमन।
आप भक्तों के दुःखों को हरती
पाप को नाश करती।
सृष्टि को संवारती
भक्तों को आशीष देती।
जगत जननी मां दुर्गे को नमन।
दुर्गेश मोहन
बिहटा, पटना (बिहार)
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