आदमी की तलाश मे, घूमता यहाँ आदमी,
खुद को खुदा समझकर, झूमता है आदमी।मन्दिरों मे आज भी, मानवता का दिया जला,
मस्जिदों मे आदमीयत को, रौंदता है आदमी।
मन्दिर में दया भाव, दीन दुखियों की सेवा,
मस्जिद में हिंसा समर्थन, करता देखा आदमी।
नित नये फ़तवों की गूंज, मीनारों से सुनी जाती,
शंख ढोल झाँझ मंजीरे, कहीं बजाता आदमी।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com