नवसृजन संदेश: जीवन की सार्थकता
पंकज शर्मा
वृक्ष कभी इस बात पर चिंतित नहीं होता कि उसकी शाखाओं से कितने पुष्प झड़ गए। वह शोक में डूबने के बजाय नए फूलों के सृजन में व्यस्त रहता है। यही प्रकृति का शाश्वत नियम है—निरंतरता, पुनर्निर्माण और आशा।
हम मनुष्यों के जीवन में भी यही सिद्धांत लागू होता है। अतीत की हानि पर विलाप करने से हम केवल वर्तमान को नष्ट करते हैं। जीवन का सौंदर्य इसमें नहीं कि हमने क्या खोया, बल्कि इसमें है कि हम अपने शेष समय और ऊर्जा का उपयोग कैसे करते हैं।
हर असफलता, हर टूटन, और हर हानि हमें एक नई शुरुआत करने का अवसर देती है। यदि हम बीते समय की पीड़ा में उलझे रहेंगे, तो आगे बढ़ने की शक्ति खो देंगे। लेकिन यदि हम वृक्ष की भांति हर पतझड़ को एक नए वसंत की पूर्वसूचना मानें, तो हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
इसलिए, जीवन में चाहे कितने ही झंझावात आएं, हमें निरंतर सृजनशील बने रहना चाहिए। बीते कल को भुलाकर, आज क्या नया कर सकते हैं, इसी पर ध्यान केंद्रित करें। यही सकारात्मकता और कर्मशीलता जीवन को एक नई ऊंचाई तक ले जाती है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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