काव्य-साहित्य के प्रधान तत्त्व प्रेम, ऋंगार और लोक-मंगल हैं

- 'लेख्य-मंजूषा' द्वारा साहित्य सम्मेलन में आयोजित हुआ वासंती साहित्योत्सव, हुआ कवि-सम्मेलन और पुस्तक-लोकार्पण , डा शहनाज़ फ़ातमी को दिया गया 'जीवन उपलब्धि-सम्मान'
पटना, ९ मार्च। काव्य-साहित्य में प्रेम, ऋंगार और लोक-मंगल के भाव ही प्रधान तत्त्व हैं। प्रेम जीवनी शक्ति है। इसके अभाव में जीवन और संसार की कल्पना नहीं हो सकती। प्रेम पाकर मरणासन्न व्यक्ति भी जी उठता है। इसीलिए जीवन में प्रेम और ऋंगार का विशेष महत्त्व है। और यही भाव साहित्य में केंद्रीयतत्त्व के रूप में अभिव्यक्त हुआ है।
यह बातें रविवार को साहित्यिक संस्था 'लेख्य-मंजूषा' के तत्त्वावधान में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित वासंती साहित्योत्सव की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने इस अवसर पर हिन्दी और ऊर्दू की विदुषी कवयित्री डा शहनाज़ फ़ातमी को, उनके सुदीर्घ साहित्यिक अवदान के लिए 'जीवन उपलब्धि सम्मान' से विभूषित किया।
नोएडा से पधारे मंज़िल ग्रुप के राष्ट्रीय संयोजक सुधीर सिंह सुधाकर, डा अनिता राकेश, कमल नयन श्रीवास्तव, संस्था के सचिव रवि श्रीवास्तव, नीलम सिन्हा, राहूल शिवाय, अविनाश भारती तथा अलका ने अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर संस्था की अध्यक्ष विभारानी श्रीवास्तव के संपादन में प्रकाशित पत्रिका 'स्पंदन' का साक्षात्कार-विशेषांक, लघु-कथाओं के दो संग्रहों 'सम्यक् सम्बोधि' तथा 'थोड़े की ज़रूरत', राजेंद्र पुरोहित के लघुकथा-संग्रह 'महासागर की बूँद' तथा लेखक विश्वमोहन के निबंध-संग्रह'आत्मा के द्वार' का लोकार्पण किया गया।
कवि-सम्मेलन दो सत्रों में संपन्न हुआ। प्रथम सत्र गीतों पर केंद्रित था, जिसमें वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण, तनुजा सिन्हा, मीरा श्रीवास्तव, कुमार अनुपम, कमल किशोर वर्मा 'कमल', आशा रघुदेव, गार्गी राय, बच्चा ठाकुर, नूतन सिन्हा, अपराजिता रंजना, एम के मधु, जय प्रकाश पुजारी, डा पूनम देवा, मीरा प्रकाश, उर्मिला वर्मा, श्याम बिहारी प्रभाकर, सीमा रानी, विश्व मोहन आदि कवियों और कवयित्रियों ने वसंत के स्वागत में अपने मधुर गीतों से श्रोताओं की तालियाँ बटोरी। इस सत्र का संचालन कवयित्री नूतन सिन्हा और सीमा रानी ने संयुक्त से किया।
दूसरा सत्र ग़ज़ल पर केंद्रित था, जिसमें वरिष्ठ कवयित्री डा नीलम श्रीवास्तव , मो नसीम अख़्तर, शुभचंद्र सिन्हा, डा उषा सिंह, डा कुंदन लोहानी, प्रियंका श्रीवास्तव शुभ्र आदि शायरों ने अपनी ग़ज़लों से महफ़िल को आबाद किया। ग़ज़ल-सत्र का संचालन अनुपमा सिंह तथा पूनम कतरियार ने संयुक्त रूप से किया। अतिथियों का स्वागत संस्था की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन एकता कुमारी ने किया।
वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर, कृष्ण रंजन सिंह, ईं अशोक कुमार, तनुजा सिन्हा, प्रेम लता सिंह राजपुत, नन्दन कुमार मीत समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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