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आज हिंद ह्रदय सिंधु में,फिर से ज्वार उठा है

आज हिंद ह्रदय सिंधु में,फिर से ज्वार उठा है

लोक तंत्र शीर्ष संस्था पटल,
राणा सांगा अति मान मर्दन ।
निम्न विचार वीर योद्धा प्रति,
रग रग दर्शित प्रतिशोध गर्जन ।
राष्ट्र संस्कृति रक्षा गौरव हेतु,
रज रज पुनः जयकार उठा है ।
आज हिंद ह्रदय सिंधु में,फिर से ज्वार उठा है ।।


वीर शिरोमणि राणा संग्राम सिंह,
रजपूती आन बान शान पर्याय ।
एक सौ युद्ध अंतर विजय श्री,
साहस शौर्य स्वाभिमान अध्याय ।
स्मृत कर दुश्मन विरुद्ध संघर्ष,
हिंदुत्व जोश साकार उठा है ।
आज हिंद ह्रदय सिंधु में,फिर से ज्वार उठा है ।।


व्यक्तित्व ओज सूर्य सम,
राष्ट्र भक्ति शिखर प्रचंड ।
मुगली शासन विरोध पुरजोर,
कृतित्व अंतर पराक्रम अखंड।
वंदन सैनिक भग्नावेश उपमा,
अस्सी घाव पट दर्द अपार उठा है।
आज हिंद ह्रदय सिंधु में,फिर से ज्वार उठा है ।।


अनंत नमन हिन्दूपत सम्राट,
अनूप साम्राज्य विस्तार नीति ।
भुजबल संग उदार शासक छवि,
ध्येय प्रयास हिन्दू राष्ट्र परिणीति ।
प्रातः स्मरणीय बहादुर योद्धा,
सर्वत्र सांगा प्रतिष्ठा प्रतिकार उठा है ।
आज हिंद ह्रदय सिंधु में,फिर से ज्वार उठा है ।।

कुमार महेंद्र


(स्वरचित मौलिक रचना)


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