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तेरी दोस्ती से, गुलजार जिंदगी मेरी

तेरी दोस्ती से, गुलजार जिंदगी मेरी

पाकर तुम्हारा साथ,
जीवन सम प्रसून खिला ।
बोझिल सी राहों पर,
आनंद भरा शकुन मिला ।
जले नव आशा दीप ,
दूर सारी नैराश्य अंधेरी ।
तेरी दोस्ती से,गुलजार जिंदगी मेरी ।।


मेरा जीवन तो जैसे,
तपता रेगिस्तान था ।
कदम कदम पर छाया,
संघर्ष भरा तूफान था ।
मुस्कान मिली चेहरे को,
जब हुई प्रियतम पग फेरी ।
तेरी दोस्ती से, गुलजार जिंदगी मेरी ।।


मेरे उर कैनवास पर,
तुमने अनूप चित्र बनाया ।
विचलनी पगडंडी पर,
हर भाव पवित्र बनाया ।
समाधान बन अवतरित हुए,
जब कोई विपदा बदरी घेरी ।
तेरी दोस्ती से, गुलजार जिंदगी मेरी ।।


उत्साह उमंग अनुपमा,
जीवन अनूप परिभाषा हो।
मृदुल नेह अनुबंध पर,
मिलन सौम्य अभिलाषा हो।
हिय कामनाएं सदा फलीभूत ,
निहार तुम्हारी शुभता देहरी ।
तेरी दोस्ती से,गुलजार जिंदगी मेरी ।।


कुमार महेंद्र


(स्वरचित मौलिक रचना)
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