शाकद्वीपी ब्राह्मण के ऊपर मुखिया का अन्याय बर्दाश्त नहीं: गिरीन्द्र मोहन मिश्र
अपने शाकद्वीपी ब्राह्मण समाज के लिए सदैव समर्पित और क्रियाशील रहने वाले मग धर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक गिरीन्द्र मोहन मिश्र ने कहा है कि झारखण्ड के गिरिडीह जिला के अंतर्गत बगोदर के तिरला गाँव के मुखिया के द्वारा एक शाकद्वीपी ब्राह्मण परिवार के साथ गैर कानूनी हरकत किया जाना बेहद दुखद और निंदनीय है. ऐसे आचरण, व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. एक सभ्य, आचरणशील समाज में जनप्रतिनिधि के द्वारा ऐसा कृत्य स्वीकार नहीं होता है. इसके लिए कानून में सजा का भी प्रावधान है. कानून सबको अपने जान, सम्पत्ति, इज़्ज़त की रक्षा का अधिकार देता है.
गिरीन्द्र मोहन मिश्र ने आगे कहा कि बगोदर के तिरला गाँव के मुखिया और उसके कुछ अन्य दबंग किस्म के शागिर्द के द्वारा एक गैर कानूनी फरमान जारी किया गया है. इस फरमान में कहा गया है कि शाकद्वीपी ब्राह्मण समाज के एक परिवार को सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है. इसके साथ ही उस परिवार को किसी भी सामाजिक गतिविधि से इलाहदा रहने का आदेश दिया गया है. फरमान में यहाँ तक कहा गया है कि इस गाँव के जो भी व्यक्ति उस ब्राह्मण परिवार से ताल्लुकात रखेगा, मेल जोल रखेगा उस व्यक्ति व परिवार पर आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा.
मग धर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक गिरीन्द्र मोहन मिश्र ने कहा कि इस तरह का हरकत अत्यंत ही निंदनीय, गंभीर, गैर कानूनी तो है ही साथ ही कानून व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती भी है. ऐसे अवांछित हरकत को शीघ्रतिशीघ्र रोका जाना चाहिए. इस पर सरकार और प्रशासन को शीघ्र ही न्यायोचित कदम उठाना चाहिए. सरकार और प्रशासन को यह भी हिदायत देना चाहिए कि मुखिया अपने सीमा में रहे.मुखिया समस्या का हल करे न कि खुद ही एक समस्या बन जाए.
दरअसल, इस संदर्भ में हकीकत यह है कि पीड़ित परिवार के पूर्वजों के द्वारा उनकी खुद की जमीन पर एक मंदिर का निर्माण कराया गया था. जहाँ वे बतौर पूजारी सेवारत थे. अलाबे इसके उनके पूर्वजों के द्वारा पंचायत भवन तथा विद्यालय के लिए भी ज़मीन दान दिया था जो फ़िलवक़्त सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए है. लेकिन अब वर्तमान मुखिया और उसके शागिर्दों के कुछ प्रभावशाली लोग के मन में लोभ घर कर गया है. फलतः उक्त ज़मीन का अवैध कब्ज़ा करना चाहता है जिसे ऊँचे दाम में बेचकर आर्थिक लाभ अर्जित किया जा सके. गिरीन्द्र मोहन मिश्र ने आगे कहा कि मुखिया है लेकिन कानून से ऊपर नहीं है. गलत करने पर मुखिया भी जेल जाता है, सज़ा पाता है और मुखिया का पद भी चला जाता है. यानी कानून से ऊपर कोई भी नहीं है. अगर मुखिया अपने गैर जिम्मेदाराना हरक़त से बाज़ नहीं आता है तो हम शाकद्वीपी ब्राह्मण समाज अपने हक़ और इज़्ज़त के लिए पीछे नहीं हटेंगे और बढ़ेंगे, न्यायालय का सहारा लेंगे.
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