दिल और दिमाग
ईश्वर ने,
मानव शरीर रुपी यंत्र बनाया है।
पृथ्वी पर सारी समस्याओं का जड़,
इसमें दिल दिमाग दो अंग लगाया है।।
दिल जब तक धड़कता है,
तब तक ही मानव जिंदा है।
दिमाग जिस दिशा में जैसे चलता है,
उसी अनुरूप मानव खुशी या शरमिंदा है।।
दिल में प्रेम भाव से ही,
मानव अच्छा कहलाता है।
दिल जो कठोर हो तो,
यही मानव अहंकारी दुष्ट बन जाता है।।
सकारात्मक सोच हो दिमाग में,
तो हर तरफ शांति छा जाता है।
अगर खुराफात ही हो दिमाग में,
तो फिर चारों तरफ आग लग जाता है।।
इन दोनों पर नियंत्रण से ही,
घर, परिवार, समाज और देश,
सुव्यवस्थित रह पायेगा।
अगर इनका संतुलन बिगड़ गया तो,
शरीर के साथ ही, सब कुछ नष्ट हो जायेगा।।
अतः विश्व शांति के लिए जरूरी है कि,
मानव दिल को स्वच्छ रखे और,
दिमाग में षड्यंत्र अहंकार नहीं उगने दें।
अनेक सत्कर्मों से प्राप्त इस मानव शरीर के,
दिल दिमाग दोनों अंगों को,
हरदम स्वस्थ, स्वच्छ और सकारात्मक ही रहने दें।।
जय प्रकाश कुंवर
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