चक्र सुदर्शन चलाना होगा।
विकट समय है धर्मयुद्ध है अब माधव आना होगा।निर्दोषों की जान बचाने चक्र सुदर्शन चलाना होगा।
आतंकी उत्पात मचाते देखो लहुलुहान कश्मीर पड़ा।
धर्म पूछकर गोली मारे अब भारी संकट आन खड़ा।
शांति नहीं हमें दुश्मन को दो-दो हाथ दिखाना होगा।
कान्हा कृष्ण रूप धरकर चक्र सुदर्शन चलाना होगा।
धर्म ध्वज लहराए निशदिन भक्ति का गुणगान हुआ।
पूजा पाठ जप तप योग शक्ति सनातन संज्ञान हुआ।
सत्य सनातन धर्म हिंदू श्रीराम कृष्ण को आना होगा।
शक्ति प्रदर्शन क्षण आया चक्र सुदर्शन चलाना होगा।
जानों पर जाने लुट जाती रक्त रंजित हो गई है घाटी।
भगवा को ललकार रहा है बैरी दल अब खाकर माटी।
इंसानियत भूल चुका अरि फिर से पाठ पढ़ाना होगा।
धर्म रक्षा को दौड़ो केशव चक्र सुदर्शन उठाना होगा।
वतनपरस्ती वो क्या जाने जिनको है प्यारी खामोशी।
जिनका कोई धर्म नहीं बचा आतंकी हत्यारे हैं दोषी।
देश अगर बचाना हो संगठित वंदे मातरम गाना होगा।
मधुसूदन मनमोहन आओ चक्र सुदर्शन चलाना होगा।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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