Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

किस क़दर टूटा हूँ, तुमको क्या बताऊँ,

किस क़दर टूटा हूँ, तुमको क्या बताऊँ,

जिस्म छलनी छलनी, तुमको कैसे बताऊँ?
जबसे दी तुमने क़सम भूलने की,
और दिया था वास्ता मेरी मोहब्बत का,
तबसे खुद को ही भुलाकर जी रहा हूँ,
याद है क़िस्सा बस तेरी मोहब्बत का।


याद जब जब आयी बिस्तर चुभने लगा,
ज़ख़्म दिल पर कितने लगे कैसे बताऊँ?


उस गली जाना भी मैंने छोड़ दिया, तेरा मकां था,
जाता नहीं उस छत पर अब, दिखता तेरा मकां था।
सर्दियों की दोपहर, गुनगुनी धूप में मिलने की चाह,
वह बगीचा आम का याद आता, जहाँ तेरा मकां था।


तुम कहाँ कैसी हो नहीं जानता, याद भी करता नही,
रोज़ सुबह हिचकी आती तेरी, तुमको कैसे बताऊँ?


तेरी चाहत में लिखे गीत, हो गये डायरी में क़ैद,
कब मिलेगी उनको राहत, जिनको सज़ा उम्र क़ैद?
पर बता कम्बख़्त बग़ावती अहसासों का क्या करें
आँसुओं का सैलाब बन, तोड़ने को वादों की क़ैद।


इश्क़ करने की सज़ा मुझको मिली कितनी हंसी,
शुष्क नयन दिल रोता, लब पर हँसी कैसे बताऊँ?

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ