मैं बहना तू है भईया
मेरे मुन्ना राजा सोना ,तू सोना मोना टोना ।
आ तुमको टाॅफी दूॅं ,
अब तुम नहीं रोना ।।
आ बनूॅं मैं तेरा घोड़ा ,
खेलें हम थोड़ा थोड़ा ।
आकर बैठ गद्दे पे तू ,
हाथ में लेकर कोड़ा ।।
पीठ पर मेरे चढ़ जा ,
एक कविता पढ़ जा ।
मैं चलूॅं तेरे पीछे पीछे ,
तू हमसे आगे बढ़ जा ।।
मैं बहना तू है भईया ,
राखी बॅंधाई दे रुपईया ।
तुझे खिलाऊॅं मैं मिठाई ,
आशीष ले मेरे भईया ।।
आओ चलें नानी घर ,
पापा मम्मी के संग में ।
स्कूल में है ग्रीष्मावकाश ,
रंगें थोड़ा उनके रंग में ।।
पूरा करना है गृह कार्य ,
गुरुजी का है ये कहना ।
जल्दी वहाॅं से घूम आऍं ,
अधिक नहीं वहाॅं रहना ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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