जीवन के तूफ़ानों में निखरता है इंसान
सुविधा कभी भी किसी को वास्तव में मजबूत नहीं बनाती। वह केवल आराम देती है, परंतु आत्मबल, संघर्ष से ही जन्म लेता है। जब तक इंसान कठिनाइयों से नहीं जूझता, तब तक उसमें छिपी संभावनाएँ, साहस और संकल्प जागृत नहीं होते।
जीवन की शांति भले ही सुखद हो, पर असली शिक्षा मिलती है उस समय जब हालात प्रतिकूल हों। जब रास्ते मुश्किल हों, जब सपने टूटते दिखें, और जब मन डगमगाए — तभी भीतर से आवाज़ आती है, "मैं हार नहीं मानूंगा।" यही क्षण होता है जब इंसान टूटने की बजाय निखरता है।
धैर्य और सहनशीलता की पाठशाला कोई शांत कुंभ नहीं, बल्कि जीवन का उफनता समंदर होती है। कठिनाइयाँ हमें गढ़ती हैं, मांजती हैं, और एक ऐसा चरित्र देती हैं जो न केवल खुद के लिए बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनता है।
इसलिए जब अगली बार जीवन में कोई तूफ़ान आए, तो डरिए मत — समझिए, यही वह क्षण है जब आप असली ‘आप’ बनने वाले हैं।
क्योंकि लोहे को भी तलवार बनने के लिए आग में तपना पड़ता है।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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