जब भी कोई छंद लिखूंगा
जब भी कोई छंद लिखूंगा रसों का आनंद लिखूंगा।प्रीत भरा अनुबंध लिखूंगा गीत चाहे चंद लिखूंगा।
मुखड़ा सुंदर बन्ध रचा काव्य सौरभ गन्ध लिखूंगा।
मुस्काती अधरों की वाणी नयनों का द्वंद लिखूंगा।
वादों पर प्रतिबंध रचे सौंदर्य का कटिबंध लिखूंगा।
भावों की बहती गंगा काव्य महक तटबंध लिखूंगा।
तलवारों पर तंज लिखूंगा नैन रसीले कंज लिखूंगा।
टूटी मालाओं के मोती गिरती दीवारें भंज लिखूंगा।
मधुर मधुर रसकंद लिखूंगा हौले हौले मंद लिखूंगा।
लेखनी की ज्योत जला अंधियारा पाबंद लिखूंगा।
गीत कोई लयबद्ध रचना शब्दों को स्वरबद्ध लिखूंगा।
अंतर्मन को दस्तक देती कविता काव्य बद्ध लिखूंगा।
रसधारों को मीत लिखूं मनभावन सा गीत लिखूंगा।
पराक्रमी बलिदानी पथ शूरमाओं की जीत लिखूंगा।
प्रीतम उमड़ती रीत लिखूं अंगारों पर शीत लिखूंगा।
महकती हसीं वादियां महके गुलशन प्रीत लिखूंगा।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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