प्यार
देखs तानि केने बा नजर ,तोहर दिलवर जानी ।
दिल में आके निकल गईल ,
तोहर बा नादानी ।।
चाॅंद कहले चाॅंदनी से ,
तू बात न कर तारन से ।
हमरा से तू शादी करके ,
बियाह करबु हजारन से ।।
जहाॅं ना कोई आवे जाए ,
उ जगह सून लागेला ।
प्रेम प्यार के मिलन होखे ,
प्यार के धुन बाजेला ।।
एक छोड़ हजार में जईबु ,
बोलs कवना कारण से ।
हमरा से तू शादी करके ,
बियाह करबु हजारन से ।।
तीनों जिला संहतिया हवे ,
आरा छपरा बलिया ।
बाकी सब बाराती हवे ,
वोह में कुछ सहबलिया ।।
शादीशुदा खोजत बाड़ू ,
काहे घिरना कुऑंरन से ।
हमरा से तू शादी करके ,
बियाह करबु हजारन से ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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