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मानव धर्म

मानव धर्म

बहुत कुछ करने की
हम इच्छा रखते है।
कहाँ से शुरू करू
कहाँ पर अंत करू।
मिला है जीवन हमको
हमारे पूर्व कर्मों के कारण।
इसलिए फिर से हमको
अच्छे कर्म करना है।।


जो हम कर न सके
अपने पूरब जन्म में।
वो हम करना चाहेंगे
अब इस जीवन में।
इसलिए तो हम अपने
सुधारेंगे कर्मों को।
ताकि मानव जन्म हमको
फिर से मिल जाये।।


दया धर्म का भाव हम
सदा ही दिलमें रखते है।
मानव धर्म को भी हम
अच्छे से जानते है।
इसलिए हम स्वयं को
मानव सेवा में लगाते है।
और मानव होने का
हम धर्म निभाते है।।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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