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बहारों का मजा लीजिए

बहारों का मजा लीजिए

बैठकर बहारों का मजा लीजिए।
रसपान काव्य का किया कीजिए।
मन को लुभाती शब्दों की रसधार।
गीत सुरीले गूंजे वीणा की झंकार।


दिल का हो दर्द कोई सुना दीजिए।
रूठा हो अपना कोई मना लीजिए।
भावों की गंगा है काव्य की फुहार।
मोतियों की माला शिल्प का श्रृंगार।
कानों में रस घोले बोल बहा दीजिए।
कवियों का संगम जरा नहा लीजिए।


दस्तक दिल को भाव सुना दीजिए।
सभा महक जाए नगमा गा दीजिए।
रस बरसे लबों से उन्हें बुला दीजिए।
घड़ियां बैचेन ना हमें सजा दीजिए।


खिल जाते अधर मेरे मुस्कुरा दीजिए।
जादू भरी आंखें हैं जादू गिरा दीजिए।
मैं तो मुक्तक कह दूं गीत सुना दीजिए।
छंदों की बौछार शायरी फना कीजिए।


रमाकांत सोनी सुदर्शन


नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान

रचना स्वरचित व मौलिक है
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