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हे राष्ट्र जन कवि, तुम्हें अनंत प्रणाम

हे राष्ट्र जन कवि, तुम्हें अनंत प्रणाम

जीवन अनुपमा प्रेरणा पुंज,
लेखनी पटल यथार्थ स्पंदन ।
शब्द आरेख़ लोक संस्कृति,
सहज अर्थ सरस प्रभाव वंदन ।
काव्य अंतर लोक राग रंग,
अखंड साहित्य साधना निष्काम ।
हे राष्ट्र जन कवि,तुम्हें अनंत प्रणाम ।।
अवतरण नवलगढ़ पावन धरा,
लेखनी विख्यात वैश्विक छोर ।
अनूप सृजन हिंदी सह मायड़ ,
लेखन प्रतिभा आनंद ठोर ।
मृदुल मधुर स्वर लहरियां,
गीत संगीत पट खुशियां अविराम ।
हे राष्ट्र जन कवि,तुम्हें अनंत प्रणाम ।।
व्यक्तित्व कृतित्व जन प्रियल,
प्रांत राष्ट्र विराट काव्य छवि ।
भाव विभोर पाठक श्रोता वृंद,
प्रस्तुति कला मनभावन नवि ।
जीवंत शब्द आभा हर विधा,
अप्रतिम प्रेम विरह वीर रस धाम ।
हे राष्ट्र जन कवि, तुम्हें अनंत प्रणाम ।।
चांद चढियो गिगनार गीत,
जन तरंग अभिन्न अंग ।
उत्साह उमंग जोश सुधा,
आह्लाद पर्याय जीवन उत्संग ।
राजस्थानी साहित्य द्रोणाचार्य सह,
राष्ट्र जन कवि पदवी अभिराम ।
हे राष्ट्र जन कवि,तुम्हें अनंत प्रणाम ।।
कुमार महेंद्र

(स्वरचित मौलिक रचना)


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