जयति जय जय मां सरस्वती
जयति जय जय मां सरस्वती,जय जय वीणा पाणी।
सात सुरों की मात् शारदे,
वंदन जग कल्याणी।
बुद्धि विधाता हे जग माता,
हंसवाहिनी वर दो।
साधक शरण आपकी मैया,
शब्दों से झोली भर दो।
विमल विचार तिमिर हारिणी,
धवल ज्योति प्रदाता।
यश वैभव प्रज्ञा दायिनी,
गुण निधियों की दाता।
शब्द सुधा मोती बरसाओ,
वाणी की झंकार करो मां।
काव्य शब्द अर्पण सब तेरे,
सुमन हार स्वीकार करो मां।
गीतों की लय ताल भवानी,
कविता का कमाल भारती।
कलमकार पूजन सब तेरे,
लेखनी ले मां करें आरती।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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