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मात पिता के चरणों में संसार है

मात पिता के चरणों में संसार है

मात पिता के चरणों में संसार है।
सेवा करने वालों का बेड़ा पार है।
झोली भर लो तुम नेह आशीष से।
मिलते जीवन में बस एक बार है।
नैनों से नित झरता स्नेह अपार है।
माता-पिता के चरणों में संसार है।


वरद हाथों में जिनके ही वरदान है।
अनुभव भरा खजाना सारा ज्ञान है।
आंचल की शीतलता ठंडी छांव सी।
आओ कर ले हम उनका सम्मान है।
जिनके हृदय प्रेम भरी रसधार है।
मात पिता के चरणों में संसार है।


जो जीवन की राह हमें बतलाते हैं।
उंगली पकड़कर हमको चलाते हैं।
मिलता हमको स्नेह और दुलार है।
देते हमको शिक्षा और संस्कार है।
खिल जाता सुंदर सा घर बार है।
मात पिता के चरणों में संसार है।


रमाकांत सोनी सुदर्शन


नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान

रचना स्वरचित व मौलिक है
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