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अब तो ललकारो

अब तो ललकारो

धर्म पूछकर गोली मारनेवालों ,
कैसा कायराना हमला किया है ।
दुम दबाकर ही आया है तुमने ,
दुम दबाकर ही अंजाम दिया है ।।
हिम्मत है तो सामने तुम आओ ,
भारत तुझे ये धिक्कार रहा है ।
बुजदिल सा भागे दुम दबाकर ,
भारत तुझे ये ललकार रहा है ।।
तुम्हारे जितने भी आका चाचा ,
बुला लो सबको अपने संग में ।
देख ले भारत तेरा भी ये रंगत ,
कौन रंगा है आज किस रंग में ।।
तुम भारत को ललकार न सके ,
किंतु भारत तुझे ललकार रहा ।
तुमने तो मारा है पीठ में गोली ,
भारत सीना ठोक पुकार रहा ।।
आओ आओ तुम सामने आओ ,
तेरा अरमान अब पूर्ण करें हम ।
तुमने की है निर्दोषों की हत्या ,
तेरे बढ़ते अरमान चूर्ण करें हम ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश बिहार ।
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