रणभूमि सज चुकी,वीरों के अभिनंदन में
आतंक विरुद्ध बुलंद स्वर,हिंद सेना सज धज तैयार ।
सर्वत्र शौर्य उत्साह दर्शन,
जन भाव उन्मुख प्रतिकार ।
अश्रु सह आक्रोश गर्जना ,
पहलगाम त्रासदी क्रंदन में ।
रण भूमि सज चुकी,वीरों के अभिनंदन में ।।
परंपरा परे रण अनुपमा,
मानवता रक्षा परम ध्येय ।
समूल विनाश आतंकी तंत्र,
कामना तिरंगी शान अजेय ।
अचूक प्रहार दानवी केंद्र,
सेना तत्पर राष्ट्र गौरव वंदन में ।
रण भूमि सज चुकी,वीरों के अभिनंदन में ।।
हिंद सेना त्रि अंग अद्वितीय,
भारती सुरक्षा अभेद्य कवच ।
आत्मसात अधुना प्रौद्योगिकी,
प्रयास देश धरा हर स्वप्न सच ।
रणबांकुरी भाव भंगिमा अद्भुत,
चाल ढाल लक्ष्य बिंदु स्पंदन में ।
रण भूमि सज चुकी, वीरों के अभिनंदन में ।।
अप्रतिम वीर धीर सैन्य दल,
जोश शौर्य पराक्रम पर्याय ।
प्रतिशोध पर्यटक जघन्य कांड,
चाह इति श्री आतंकी अध्याय ।
रज रज अंतर अथाह देश प्रेम,
अदम्य साहस विजय श्री मंडन में ।
रण भूमि सज चुकी,वीरों के अभिनंदन में ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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