फिर सुबह होगी सुहानी
नई ताजगी नई उमंगे नई ऊर्जा का संचार होगा।फिर सुबह होगी हसीं घट घट नव विचार होगा।
भोर की किरणें धरा पर विचरण कर हरसाएगी।
बागों में पुष्प खिलेंगे कली-कली खिल जाएगी।
नई चेतना लेकर हम यहां गीत खुशी के गाएंगे।
नया सवेरा आशाओं का स्वागत गान सुनायेंगे।
अधरों पर मुस्कान धरे हंस हंसकर बतलाएंगे।
प्यार भरे अनमोल मोती सबको बांटते जाएंगे।
सुबह का सूरज नई रोशनी नई भोर कर जाएगा।
चेहरों पर रौनक आएगी हर ललाट जगमगाएगा।
पंछियों का कलरव है कल कल सरिता की धारा।
उमंग भरे हिलोरें सिंधु वादियों का दृश्य है प्यारा।
फिर सुबह होगी सुहानी खिलखिलाती सुप्रभात।
अंधियारे का अंत होगा बीत जाएगी काली रात।
उषा का उजियारा फैले घट-घट में आलोक हो।
मन का पंछी भरे उड़ाने व्योम अंतरिक्ष लोक हो।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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