Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

नहीं कभी देखा जग ने, घास भेड़िया खाता हो,

नहीं कभी देखा जग ने, घास भेड़िया खाता हो,

नहीं कभी देखा उसको, रोटी पर ललचाता हो?
जंगल का राजा भी कब, शाकाहार की बात करे,
निर्बल कमजोरों पर वह, दया भाव दिखलाता हो?
मन्दिर तोड नींव पर उसकी, मस्जिद बनते देखी है,
कोई मन्दिर दिखलाओ, मस्जिद पर बन जाता हो?
गंगा हिन्दू- जमुना हिन्दू, हम नदियों को माता कहते,
गंगा जमुनी तहज़ीब है क्या, जो मन को भरमाता हो?
मन्दिर में हमने देखा, अक्सर इफ़्तार कभी नमाज़ पढ़ी,
मस्जिद का कोई क़िस्सा, देवी पूजन दिख जाता हो?
हिन्दू मुस्लिम भाई भाई राग, हिन्दू ही तो गाते रहते हैं,
मुस्लिम कोई नहीं मिलेगा, जो ऐसा राग सुनाता हो?
कुछ भाईचारे की बातें करते, भाई को ही चारा कहते,
इस्लाम मे नहीं कहीं कुछ, धर्मनिरपेक्ष बताता हो?
मानवता से प्यार करो, है कौन जगत को बतलाता,
चर अचर तीन लोक तक, दया भाव समझाता हो।
वसुधैव कुटुम्ब का सपना, सनातन की देन यह,
केवल हिन्दू ही है, सब धर्मों का मान सिखाता हो।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ