Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

यथार्थ-आदर्श: दो दर्पणों का संतुलन

यथार्थ-आदर्श: दो दर्पणों का संतुलन

यथार्थ का दर्पण बाह्य जगत को दर्शाता है—वहीं जीवन की कठिनाइयाँ, संघर्ष, और परिस्थितियाँ जो हमें घेरे रहती हैं। यह दर्पण हमें जीवन की सच्चाइयों से परिचित कराता है, हमें सजग करता है, और अपने अस्तित्व को समझने की दृष्टि देता है।

दूसरी ओर, आदर्श का दर्पण हमारे अंतर्मन में होता है। यह वह प्रकाश है जो हमें अंधकार में भी सही मार्ग दिखाता है। जब यथार्थ हमें थका देता है, तब आदर्श हमें संबल देता है। यह हमारे भीतर की शक्ति, मूल्य और नैतिकता का प्रतिबिंब होता है।

जीवन की सफलता वहीं संभव है जहाँ यथार्थ और आदर्श—दोनों दर्पणों को समान रूप से देखा जाए। केवल यथार्थ में उलझ जाना हमें कठोर बना सकता है, और केवल आदर्श में डूब जाना हमें व्यवहार से दूर कर सकता है।

इसलिए, आवश्यक है कि हम यथार्थ की धरती पर खड़े होकर आदर्श की ऊँचाइयों की ओर बढ़ें—तभी जीवन सार्थक, संतुलित और प्रेरणादायक बन सकता है।

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ