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मंगल

मंगल

जय प्रकाश कुंवर
आज हम सब लोग बहुत ही विषम परिस्थितियों में इस दुनिया में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। हर समय हम लोग आतंक के साये में जीवन गुजार रहे हैं। कभी जाति की लड़ाई, तो कभी धर्म की लड़ाई, तो कभी अधिकार की लड़ाई, अब लगता है कि यही हमारा दिनचर्या बन कर रह गया है। इन सभी लड़ाईयों और उलझनों के बावजूद भी जब हम लोग अपने श्रेष्ठों, गुरूजनों , मित्रों आदि से मिलते हैं और अभिवादन करते हैं तो हमें उनसे यह आशीर्वाद मिलता है कि " आपका मंगल हो, ईश्वर आपके जीवन को मंगलमय बनाये रखें " ।
इतना ही नहीं, जब हम लोग किसी पर्व त्योहार पर एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं, उस समय भी यही कहते हैं कि "आपका जीवन मंगलमय हो और जीवन में आप को तथा आपके परिवार को हर खुशी प्राप्त हो "।
यानि हम सभी लोग इस संसार में एक दूसरे के लिए मंगल चाहने और ढूढनें में लगे हुए हैं। इस संसार रूपी रंगमंच पर अपना रोल अदा करते हुए, हम सभी में से कुछ लोग जो ज्यादा पढ़े लिखे और वैज्ञानिक हैं ,वे इस पृथ्वी से बहुत दूर मंगल नामक एक ग्रह पर जीवन ढूंढनें में लगे हुए हैं, वहीं हम साधारण लोग पृथ्वी वासियों के जीवन में मंगल ढूंढने और चाहने में लगे हुए हैं। यह एक अजीब विडम्बना है, जिससे हम सभी वाकिफ हैं।
मंगल पर जीवन है या नहीं, यह ढूंढना अभी दूर की बात है, परंतु इस पृथ्वी पर हम सब अगर सभी देशवासियों तथा पृथ्वी वासियों में शांति स्थापित कर उनका जीवन मंगलमय बना सकें तो यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी कामयाबी और उपलब्धि होगी।
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