हॅंसते हॅंसते तू है रोता ,
अपनी हॅंसी तू है खोता ।मैं पुचकार चुप कराऊॅं ,
मैं हूॅं दादा तू मेरा पोता ।।
तेरे प्यार में लगाऊॅं गोता ,
पूरा दिन गोद ले ढोता ।
कोयल बन मैं बहलाऊॅं ,
चुप कराऊॅं बन मैं तोता ।।
जन जन मन प्यार बोता ,
प्यार में तेरे नैन भिगोता ।
तू रोकर चैन है छिनता ,
रोते रोते थककर सोता ।।
तुमको जब भूख ने जोता ,
तब अनायास तू है रोता ।
बढ़ जाती तब मेरी बेचैनी ,
मैं तेरा दादा तू मेरा पोता ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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