Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

लहूलुहान सिमाना होलो आबीजा गोमाम चलऽ।

लहूलुहान सिमाना होलो आबीजा गोमाम चलऽ।

डॉ रामकृष्ण मिश्र
लहूलुहान सिमाना होलो आबीजा गोमाम चलऽ।
जेवारी जेहादी बनलो करदऽ काम तमाम चलऽ।।


हुड़दंगी के आँधी उठलो छप्पर छानी उड़ रहलो।
जानी दुसमन बन अएलो हे मेटे नाम निसान चलऽ।।


ई तो जानल पहचानल हौ पोसल पेसल नाग निअन।
एकर मुह थूरे हूरे‌ला लेके हर हर नाम चलऽ।।


घर घुसना बन आएल जखनी सक सूभा भेलै तखनी।
घर खोंखड़ कर देतो समझ हे आफत सरजाम घलऽ।।


सर सब राहे आग बुताबे भर गाँवे उठ हीं पड़तो ।
नाक से ऊपर पानी बढ़लो ओढ़ दुसहिआ घाम चलऽ।।


के अप्पन हौ के पाही के घर फुँकवा पुचकार रहल।
केतना सहबऽ अलगंठे अब हथिआबे परिनाम चलऽ।। 21

रामकृष्ण
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ