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आतंक ने हमें रुलाया

आतंक ने हमें रुलाया

आतंक ने हमें रुलाया रक्त के आंसू भर आंख में।
मानवता को झकझोरा जिंदा बदल गए राख में।

निर्ममता की हदें पार की नाम पूछा है मार डाला।
पापी अधर्मियों ने कितनों का सुहाग छीन डाला।

अभी हाथों मेहंदी लगी अभी ही मांग उजड़ गई।
कुछ का बेटा छिना कुछ की दुनिया बिखर गई।

खेल गए खूनी होली दरिंदे वहशी और नापाक।
पहलगाम शमशान हुआ जली चिताएं हुई राख।

कश्मीर केशर क्यारी में फिर आतंकी हमला है।
पुलवामा जला नहीं आग में सारा देश दहला है।

दुख की घड़ी मौन कलम अब मशाल जला देंगे।
हिंदुस्तान हुंकार भर रहा पाकिस्तान हिला देंगे।

म्यानो से तलवारे निकले दुश्मन मार भगाएंगे।
बंदूकों की गोली कहती आतंकी तुम्हें उड़ाएंगे।

हर हर महादेव गूंजेगा अब केसरिया लहराएगा।
गली-गली हिंदू बोलेगा हर दुश्मन भी थर्रायेगा।

पकड़ो दोषी मारो गोली चौराहे ऊपर लटकाना।
इतनी फौज वहां भेजो ढूंढो सारा पता ठिकाना।

मोक्ष शांति आत्माओं को श्रद्धांजलि है अर्पित।
नैन नीर रक्त आंसू हृदय हुआ है आज द्रवित।

रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान

रचना स्वरचित व मौलिक है
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