रक्त के आंसू भरे नैन
रक्त के आंसू भरे नैन में खून खोलता वतन का।लहू मांग रही रणचंडी खप्पर भरकर दुश्मन का।
पहलगाम आतंकी हमला निर्दय हत्याएं जारी है।
मिट गया सिंदूर कहीं भारत की अबला नारी है।
कोई पिता किसी का बेटा कंधों का सहारा था।
आतंकियों ने निर्दोषों को धर्म पूछकर मारा था।
विवाह की वेदी से उठकर सपने नए सजाए थे।
केसर की क्यारी कश्मीर पर्यटन स्थल आए थे।
कहां पता था मौत खड़ी है जल्लादों का डेरा है।
जहां हवाएं जहरीली फैला आतंकों का फेरा है।
हिंदुत्व ललकारा लड़ने महाकाल फिर आएगा।
हर हर महादेव का नारा तांडव नृत्य दिखाएगा।
अरि मुंडो की माला पहने जब कालरात्रि छाएगी।
खड्ग खप्पर त्रिशूल हाथ ले महाकाली आएगी।
डगर डगर से सूरमाओं की निकलेगी टोली सजी।
आतंकवाद का अंत होगा रणभेरी जब से बजी।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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