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पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं की सफलता से संस्थान का यश बढ़ता है : नन्द किशोर यादव

पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं की सफलता से संस्थान का यश बढ़ता है : नन्द किशोर यादव

  • हेल्थ इंस्टिच्युट,बेउर के पूर्ववर्ती छात्रों का हुआ समागम, मिले तो खिले चेहरे, किए गए सम्मानित, की खूब मस्ती
पटना, 26अप्रैल। पूर्ववर्त्ती छात्र-छात्राओं की सफलता और ऊन्नति से एक शैक्षणिक-संस्थान गौरवान्वित होता है। उसके यश में वृद्धि होती है। विशेषकर तब और, जब किसी संस्थान का विद्यार्थी विदेशों में अपने झंडे गाड़ता है और उपलब्धियाँ अर्जित करता है। ऐसे सफल और सक्षम पूर्ववर्त्ती छात्र-छात्राओं को अपने संस्थान की ऊन्नति में भी योगदान देना चाहिए।
यह बातें शनिवार को, वर्ष 1990में स्थापित अपने क्षेत्र के प्रथम ग़ैर सरकारी मान्यता-प्राप्त तकनीकी संस्थान इण्डियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च, बेउर के वाक् एवं श्रवण विभाग के पूर्ववर्त्ती छात्रों के समागम का उद्घाटन करते हुए बिहार विधान सभा के अध्यक्ष नन्द किशोर यादव ने कही। श्री यादव ने कहा कि किसी की उपलब्धि से दूसरे ईर्ष्या करते हैं। यहाँ तक कि अपना भाई भी जलने लग सकता है किंतु शिक्षक और माता-पिता ही ऐसे होते हैं, जो अपने शिष्य और पुत्र-पुत्रियों की उन्नति पर प्रसन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी स्वतंत्रता के १०० वर्ष पूरा करते करते विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनना है तो उसमें आप सबका योगदान अर्थात युवाओं का, प्रत्येक नागरिक का योगदान होना चाहिए।
समारोह के मुख्य अतिथि और राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग, बिहार के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि इस संस्थान का योगदान इसलिए प्रशासनीय है कि इसने उन क्षेत्रों में प्रशिक्षण के कार्य आरंभ किए, जिनमे प्रशिक्षित विशेषज्ञों का घोर अभाव था। उन्होंने कहा कि किसी के लिए भी उन्नति हेतु अपने कार्यों में दक्षता और निपुणता अत्यंत आवश्यक है। यही उसे जीवन में श्रेष्ठ बनाता है।

पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और चिंतक न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि एक वाक् और श्रवण विशेषज्ञ समाज के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि वह गूँगों को शब्द देता है।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ साहित्यकार और संस्थान के अध्यक्ष-सह-निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि किसी भी पिता और आचार्य को सबसे अधिक प्रसन्नता तब होती है, जब कीर्ति और उपलब्धि में उसकी संतति अथवा शिष्य उसे पराजित करता है। हमारे विद्यार्थियों ने भारतवर्ष में ही नहीं विश्व के कोने-कोने में पहुँच कर अपनी सेवाओं और सफलताओं से हमारा मस्तक ऊँचा किया है। जिन स्वप्नों के साथ हमने इस संस्थान की स्थापना की, उन सपनों को हमारे विद्यार्थी पूरा कर हमें गौरव और आनन्द प्रदान कर रहे हैं।

तख़्त श्रीहरि मंदिर साहिब गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के पूर्व महासचिव सरदार महेंद्रपाल सिंह ढिल्लन, सामाजसेवी आनन्द मोहन झा,संस्थान के पूर्ववर्त्ती छात्र-छात्राओं; अमेरिका में कार्यरत सुविख्यात स्पीच पैथोलौजिस्ट डा विक्रान्त मल्लिक, डा कुमार अभिषेक, डा स्मिता कुमारी, डा अजय कुमार , डा रजनीश झा तथा डा निरुपमा राय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। पूर्ववर्ती छात्रों ने अपनी उपलब्धियों के लिए संस्थान से प्राप्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण को आधार बताते हुए, संस्थान की ऊन्नति में अपना अधिकतम योगदान देने का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर विधान सभा के अध्यक्ष नन्द किशोर यादव ने वरिष्ठ शिक्षक डा अभय कुमार एवं पूर्ववर्त्ती छात्र-छात्राओं को अंग-वस्त्रम और स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया। संस्थान के पुराने चार कर्मियों कुमार करुणा निधि, मोहन मण्डल, राम विलास राम और सुरेंद्र कुमार को भी इस अवसर पर उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।

विद्यार्थियों के लिए एक वैज्ञानिक-सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें पूर्ववर्त्ती वरिष्ठ छात्र-छात्राओं ने वाक् एवं श्रवण रोगियों के उपचार में हुए तकनीकी विकास की जानकारी दी और उपचार की नयी विधियों और व्यवहार में आ रहे नए उपकरणों से संबंधित सूचनाओं और अनुभवों को साझा किया। मंच का संचालन डा महिमा झा ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन संस्थान के प्रबंध-निदेशक डा आकाश कुमार ने किया। इस अवसर पर, डा नेहा कुमारी, प्रो संजीत कुमार, डा रूपाली भोवाल, डा संतोष कुमार सिंह, डा नवनीत कुमार, डा आदित्य ओझा, प्रो मधुमाला, प्रो देवराज, प्रो जया कुमारी, संस्थान के प्रशासी पदाधिकारी सूबेदार संजय कुमार, समेत बड़ी संख्या में अतिथिगण एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

संध्या में एक शानदार रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। छात्रगण अपने पुराने मित्रों से मिले। मिले तो सबके चेहरे भी खिले। आपस में संस्मरणों को साझा भी किया। गले मिलकर विदा होने से पहले सबने फिर अगले वर्ष मिलने का वचन दिया-लिया।
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