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आतंकवादी

आतंकवादी

हम भ्रम पाले हुए थे कि,
आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता है।
पर कल के पहलगाम आतंकी हमले ने,
इस भ्रम को चकनाचूर कर दिया है।
हम सब तो अभी तक जाति में उलझे हुए थे,
उन्होंने तो मारने से पहले केवल धर्म का पुष्टि किया है।
उन्होंने शैलानियों का पैन्ट उतरवाया,
उनसे कलमा पढ़ने को कहा,
जो न पढ़ सके वो उनकी निगाह में,
न ब्राह्मण, न क्षत्रिय, न वैश्य, न शुद्र थे,
थे तो बस काफिर थे उनके लिए।
अतः वे काफिरों को मारे हैं।
क्या अब भी यह साबित नहीं होता है कि,
आतंकवादियों का भी कोई धर्म होता है।
और यह है उनकी धार्मिक कट्टरता।
ये आतंकवाद खासकर एक धर्म विशेष के लोग,
फैला रहे हैं और चला रहे हैं।
जिनका मकसद है, उनकी जुबान में,
काफिरों को चुन चुन कर मारना।
और केवल भारत ही नहीं,
पूरे विश्व से काफिरों का सफाया करना।
वो पुरे विश्व में,
केवल इस्लाम फलता फुलता देखना चाहते हैं,
और उनके आतंकवादी जेहाद का मकसद यही है।

जय प्रकाश कुंवर


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