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शब्दवीणा काव्यगोष्ठी में रचनाकारों ने पहलगाम आतंकी हमले की घोर निंदा की

शब्दवीणा काव्यगोष्ठी में रचनाकारों ने पहलगाम आतंकी हमले की घोर निंदा की

  • कविताओं के माध्यम से दी पाकिस्तानी आतंकियों को चेतावनी, निर्दोष मृतकों के लिए जताया हार्दिक शोक
  • भारत को ललकारा है, तो मिट्टी में मिल जाओगे।
  • ये देखो लाल किसका, आज माटी में पड़ा है।।

गया। राष्ट्रीय साहित्यिक-सह-सांस्कृतिक संस्था 'शब्दवीणा' की संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी एवं शब्दवीणा की महाराष्ट्र प्रदेश समिति की संरक्षक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. डॉ. कनकलता तिवारी के संयुक्त निर्देशन में शब्दवीणा महाराष्ट्र प्रदेश की प्रथम मासिक काव्यगोष्ठी आयोजित की गयी, जिसमें शामिल सभी रचनाकारों ने कश्मीर के पहलगाम में घटित नृशंस आतंकवादी हमले में मारे गये निर्दोष पर्यटकों एवं नागरिकों को अपनी अश्रुपूरित भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही, अपनी रचनाओं द्वारा आतंकवाद का पर्याय बने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि हम भारतीय उसकी इस अमानवीय क्रूरता का मुंह तोड़ जवाब देंगे। कवयित्री रीमा राय सिंह द्वारा प्रस्तुत स्वरचित सरस्वती वंदना से काव्यगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। उसके उपरांत दो मिनट का मौन रहकर सभी ने पहलगाम हमले में जान गंवा चुके मासूमों की आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की। काव्यगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई के वरिष्ठ कवि डॉ. कृपाशंकर मिश्र एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में शब्दवीणा हरियाणा प्रदेश सचिव सरोज कुमार की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का कुशल संचालन शब्दवीणा महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष कवि लाल बहादुर यादव "कमल" ने किया।

शब्दवीणा काव्यगोष्ठी में डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, डॉ कनक लता तिवारी, डॉ. कृपाशंकर मिश्र, लाल बहादुर यादव कमल, सरोज कुमार, पं. श्रीधर मिश्र 'आत्मिक', लक्ष्मी यादव 'ओजस्विनी', डॉ. सुजाता उदेशी, पल्लवी रानी, सुषमा पाठक, सीमा त्रिवेदी, दयाराम दर्द फिरोज़ाबादी, मीनाक्षी शर्मा, सत्यभामा सिंह, किरन तिवारी, प्रतिष्ठा श्याम ‘सुकून‘, राजकुमार छापरिया, पंकज, निधि शुक्ला, प्रिंस ग्रोवर, जागृति सिन्हा, अन्नपूर्णा गुप्ता 'सरगम', बिट्टू जैन आदि ने स्वरचित गीत, दोहे, मुक्तकों द्वारा पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद अपने हृदय में पल रही पीड़ा को अभिव्यक्त किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ रश्मि प्रियदर्शनी ने पहलगाम के कायर आतंकवादियों को साक्रोश संबोधित करते हुए कहा, 'भारत को ललकारा है, तो मिट्टी में मिल जाओगे। बहा रक्त निर्दोषों का तुम कभी नहीं खिल पाओगे। लेकर आड़ धर्म की, तुमने भय-आतंक मचाया है! लेंगे बदला रामभक्त जब, तुम समूल हिल जाओगे।' उन्होंने अपनी कविता 'हम है भारतवासी, भारत प्राणों से भी प्यारा है' द्वारा भारत की असीम क्षमताओं का बखान किया। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. डॉ कनक लता तिवारी की 'विदाई का ये पल देखो, लगे कितना बड़ा है। ये देखो लाल किसका, आज माटी में पड़ा है' गीत सुनकर सभी की आँखें नम हो गयीं।

शब्दवीणा काव्यगोष्ठी में सुषमा पाठक की 'पहलगाम की घटना सुनकर, उबल रहा है सारा देश', दयाराम दर्द फिरोज़ाबादी की 'भारत की ताकत को शायद माप नहीं तू पाया है, जब-जब युद्ध किया है तूने उल्टे मुँह की खाया है', सरोज कुमार की पाकिस्तान तुझे तेरी औकात समझ आ जायेगी। पानी मिला न जो, तो तुझे याद नानी आ जायेगी', सत्यभामा सिंह की 'कवयित्री हूँ, बहुत दुःखी हूँ पहलगाम की घटना से', राजकुमार छपरिया की 'कान खोलकर सुन ले तू, ऐ ज़ालिम पाकिस्तान। विश्व के नक्शे से मिटा देंगे तेरा नामोनिशान', श्रीधर मिश्रा की 'ध्यान लौ जलाये रखिए' एवं सीमा त्रिवेदी की सीमा त्रिवेदी की 'बंदूक पूछे बस एक आखिरी सवाल, कि धर्म क्या है तुम्हारा? जैसी ओजमयी पंक्तियों से मंच देशभक्ति के भाव एवं पाकिस्तान के प्रति घृणा भरे शब्दों से गूंज उठा। कवयित्री मीनाक्षी शर्मा की 'ज़िंदगी की जद्दोज़हद में कहीं खो गया इंसान है', सुजाता उदेशी की 'झूठी लकीरों के लिए साजिशें रची गयीं', पल्लवी रानी की 'बोझ धरा का बढ़ता जाये, मानवता को कौन बचाये', किरण तिवारी की 'चीख रही है घाटी, निर्दोषों पर शामत आयी है, किसने जन्म दिया तुमको, जो दया नहीं सिखलायी है'' रचनाएँ सुन सभी भावविभोर हो उठे।

लक्ष्मी यादव की 'खाक़ हुए मधुमास की दास्तां सुनाऊं कैसे, निष्प्राण हुए प्राणप्रिय के साथ घर वापस जाऊं कैसे' को भी सभी ने खूब सराहा। कार्यक्रम का शानदार संचालन कर रहे लाल बहादुर यादव कमल की 'डरते नहीं किसी से हम, अगला क़दम उठायेंगे', मुख्य अतिथि डॉ. कृपाशंकर मिश्र की 'चलो लिखें कुछ देश की बातें, सृजन जीवंत कर लायें, यही सत्संग कवियों का, अमर साहित्य कर जायें' पर खूब वाहवाहियाँ लगीं। कार्यक्रम के समापन पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही शब्दवीणा महाराष्ट्र प्रदेश संरक्षक डॉ कनक लता तिवारी ने शब्दवीणा महाराष्ट्र प्रदेश समिति के इस आयोजन को अवसरानुकूल, सार्थक तथा अविस्मरणीय बताया। साथ ही, कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रश्मि एवं महाराष्ट्र प्रदेश समिति के सभी सहयोगियों के प्रति कृतज्ञता जताते हुए शब्दवीणा परिवार के उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना की। काव्यगोष्ठी का सीधा प्रसारण फेसबुक पर शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से हुआ, जिससे देश भर के साहित्यानुरागी श्रोतागण जुड़े रहे।
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