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हिंद ह्रदय में धधक रही,राष्ट्र प्रेम की ज्वाला

हिंद ह्रदय में धधक रही,राष्ट्र प्रेम की ज्वाला

जननी जन्म धरा प्राण प्रिय,
देश रक्षा दृढ़ संकल्प ध्येय ।
स्वाभिमान संग शीर्ष भाल,
रण क्षेत्र अंतर सदा अजेय ।
भारती आन बान शान हेतु,
शत्रु नामोनिशान मिटा डाला ।
हिंद ह्रदय में धधक रही,राष्ट्र प्रेम की ज्वाला ।।
विरोधी नित्य पथ कंटक सम,
उखाड़ फेंकना नैतिक कर्तव्य ।
सृष्टि संग अवतरण व्यंजना,
परम आधार पटाक्षेप संशय ।
मूल छवि अनुपमा अद्भुत,
विश्व गुरु पदवी रूप निराला ।
हिंद ह्रदय में धधक रही,राष्ट्र प्रेम की ज्वाला ।।
अटूट संबंध निज संस्कृति,
परंपरा संस्कार मर्यादा अहम ।
असत्य अन्याय विरुद्ध संघर्ष,
मातृभूमि वंदना आनंद पैहम ।
विज्ञान प्रौद्योगिकी ज्ञान पटल,
नित्य आच्छादित वैदिक उजाला ।
हिंद ह्रदय में धधक रही,राष्ट्र प्रेम की ज्वाला ।।
शौर्य साहस परिपूर्ण इतिहास,
नैसर्गिक सौंदर्य युक्त भूगोल ।
पूजा अर्चना साधना तार्किक,
सशक्त प्रहरी सात्विक मेलजोल।
समरसता सह असीम खुशियां,
चाह राह वरण वैजयंती माला ।
हिंद ह्रदय में धधक रही,राष्ट्र प्रेम की ज्वाला ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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