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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: भारत के भविष्‍य लिए बदलाव का प्रभावी कदम

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: भारत के भविष्‍य लिए बदलाव का प्रभावी कदम

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के कार्यकाल में वित्तीय व्यवस्था निष्पक्ष नहीं थी। यह एक ऐसा समय था जब ऋण अक्सर जान पहचान वाले और प्रभावशाली लोगों को ही मिल पाता था और आम लोगों को ऋण लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। राजनीतिक हस्‍तक्षेप की वजह से अक्सर "फ़ोन बैंकिंग" के माध्यम से, छोटे उद्यमियों की तुलना में बड़े व्यवसायों को ऋण की प्राथमिकता दी जाती थी, जबकि अल्पसंख्यक समुदायों और सूक्ष्म-व्यवसाइयों को जटिल कागजी कार्रवाई और पहुंच न होने की वजह से हाशिए पर रखा जाता था।
इस बीच, बैंकों ने बड़ी कंपनियों को अंधाधुंध तरीके से ऋण बांटे, जिससे एनपीए बढ़ता गया और वास्तविक रूप से आवश्‍यकता वाले लोगों के लिए ऋण प्राप्त करना कठिन हो गया। छोटे किसानों और छोटे पैमाने के व्यवसायों को अनौपचारिक और अक्सर शोषक ऋणदाताओं पर निर्भर रहना पड़ा। इस टूटी हुई प्रणाली ने एक शून्य पैदा कर दिया था जिसे मुद्रा योजना ने भर दिया और एक नया तथा समावेशी दृष्टिकोण पेश किया जिसने वास्तव में सभी को सफल होने के लिए आवश्यक ऋण प्राप्‍त करने का समान अवसर दिया।
अप्रैल 2015 में इस योजना के शुरू होने के बाद से अब तक 33 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा के 52 करोड़ से अधिक लोन स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिससे देश भर में उद्यमिता क्रांति को बढ़ावा मिला है। व्यापार की वृद्धि अब सिर्फ़ बड़े शहरों तक सीमित न रहकर छोटे शहरों और गांवों तक फैल रही है। पहली बार उद्यमी अपने भाग्य की बागडोर संभाल रहे हैं। मानसिकता में बदलाव स्पष्ट परिणाम ये हैं कि लोग अब नौकरी की चाहने रखने वाले नहीं रह गए हैं बल्कि वे नौकरी देने वाले बन रहे हैं।
इस योजना के तहत, शिशु (50,000 रुपये तक का ऋण); किशोर (50,000 रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये तक का ऋण); तरुण (5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक का ऋण) की तीन श्रेणियां तैयार की गई हैं। तरुण प्लस (10 लाख रुपये से अधिक और 20 लाख रुपये तक का ऋण) योजना भी चलाई जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में, मुद्रा योजना ने भारत के उद्यमशीलता परिदृश्य को नया रूप दिया है और इसने वित्तीय समावेशन के लिए एक मॉडल के रूप में वैश्विक मान्यता प्राप्त की है।
मुद्रा योजना से बदलाव की लहर
खास तौर पर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में कई लोगों के लिए मुद्रा लोन व्यवसाय स्वामित्व के लिए पहला कदम है। व्यक्तिगत सफलता की कहानियों से आगे बढ़ते हुए मुद्रा योजना ने व्यापक आर्थिक लाभ को बढ़ावा दिया है। एसकेओसीएच की “मोदीनॉमिक्स 2014-24 के परिणाम” 2024 में आई रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से प्रत्‍येक साल औसतन कम से कम 5.14 करोड़ व्यक्ति-वर्ष रोजगार सृजित हुए हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने 2014 से प्रत्‍येक साल औसतन 2.52 करोड़ स्‍थायी और टिकाऊ रोजगार जोड़े हैं। इस परिवर्तन का एक उदाहरण जम्मू-कश्मीर है जहां मुद्रा योजना के तहत अत्यधिक लाभ हुआ है जो इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर में 21,41,000 ऋण स्वीकृत किए गए हैं।
अनौपचारिक क्षेत्र के व्यवसायों को औपचारिक बना कर, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने देश के कर आधार का विस्तार किया है और वित्तीय इको सिस्टम को मजबूत किया है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने युवाओं में, खासकर छोटे शहरों और गांवों में, उद्यमशीलता की मानसिकता को प्रोत्साहित किया है। 10 लाख रुपये करोड़ के ऋण ने नए उद्यमियों/खातों को आगे बढ़ने में मदद की।
कई लाभार्थियों ने अपने उद्यमों को प्रबंधित करने और उनका विस्तार करने के लिए खुद को उन्नत बनाया है। सुलभ ऋण के माध्यम से वित्तीय विफलता के डर को कम करके, इस योजना ने व्यक्तियों को व्यावसायिक जोखिम लेने और अधिक जीवंत उद्यमशीलता इको सिस्टम में योगदान के लिए प्रोत्साहित किया है। कुछ दूसरे और तीसरे क्रम के तरंग प्रभाव इस प्रकार हैं:
रोजगार सृजन: व्यवसायों को बढ़ने में सक्षम बनाकर, इस योजना ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा किए हैं, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में। मुद्रा-समर्थित व्यवसायों के माध्यम से 2015-18 में 1 करोड़ से अधिक रोजगार सृजित हुए
2. वित्तीय समावेशन: इस योजना ने पहली बार ऋण लेने वालों को औपचारिक ऋण प्रणाली में शामिल किया है


3. महिला सशक्तिकरण: मुद्रा ऋणों में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी के रूप में (लगभग 68 प्रतिशत) महिला उद्यमियों ने ऋण प्राप्‍त किए हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ी है और लैंगिक समानता में योगदान मिला है।


क. पिछले नौ वर्षों में (वित्त वर्ष 2016 की तुलना में वित्त वर्ष 2025) प्रति महिला प्रधानमंत्री मुद्रा योजना संवितरण राशि 13 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 62,679 रुपये हो गई, वहीं दूसरी ओर प्रति महिला वृद्धिशील जमा राशि 14 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 95,269 रुपये हो गई ।
4. कौशल विकास: कई लाभार्थियों ने मुद्रा ऋण का उपयोग न केवल व्यवसाय विस्तार के लिए किया है, बल्कि नए कौशल हासिल करने या प्रौद्योगिकी को उन्नत करने के लिए भी किया है, जिससे उत्पादकता में सुधार हुआ है।
5. सामाजिक सशक्तिकरण: इस योजना ने हाशिए पर पड़े समूहों में आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा दिया है, जिससे उन्हें उद्यमिता के माध्यम से अपनी आजीविका को बनाए रखने में सक्षम बनाया गया है। एससी, एसटी और ओबीसी उद्यमियों को सभी मुद्रा ऋणों का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्‍सा प्राप्त हुआ।
6. लोगों की क्रेडिट योग्यता का निर्माण: जब जरूरतमंद मुद्रा ऋण लेते हैं और समय पर पुनर्भुगतान करते हैं, तो उनका क्रेडिट व्यवहार वित्तीय डेटाबेस में दर्ज हो जाता है। यह ट्रैक रिकॉर्ड क्रेडिट इतिहास बनाने के लिए आवश्यक है, जो उन्हें भविष्य के ऋण या क्रेडिट उत्पादों के लिए अर्हता प्राप्त करने में मदद करता है।
7. व्यवसाय विस्तार: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ऋण ने छोटे व्यवसायों को परिचालन का विस्तार करने, उत्पाद लाइनों में विविधता लाने और प्रौद्योगिकी को उन्नत करने, उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने में सक्षम बनाया है।
8. गरीबी में कमी: व्यक्तियों को आय-उत्पादक गतिविधियां शुरू करने में सक्षम बनाकर, ये ऋण गरीबी को कम करने में भी मदद करते हैं।
9. मादक पदार्थों के सेवन में कमी: जब उधारकर्ताओं को अपने व्यवसायों में निवेश से ठोस लाभ दिखाई देता है, तो मादक पदार्थों के सेवन जैसी बेकार या हानिकारक आदतों में पैसा खर्च करने की प्रेरणा कम हो जाती है।
10. फिनटेक का उदय: यूपीआई जैसी फिनटेक यानी वित्‍तीय तकनीकी ऐप के उदय और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की प्राप्ति ने भी नवीन उत्पादों और सेवाओं को पेश करके वित्तीय समावेशन में एक नया आयाम जोड़ा है, जो बैंकों में खाता खुलने के बाद पहले से वंचित आबादी तक पहुंच बना रहा है।
11. बेहतर आत्म-सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा: यह योजना व्यक्तियों को अनौपचारिक वित्तीय स्रोतों पर निर्भर रहने से लेकर मान्यता प्राप्त व्यवसाय मालिक बनने तक के लिए मदद करती है। यह बदलाव समुदाय के भीतर उनकी सामाजिक स्थिति और सम्मान को बढ़ाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मान्यता और अनुमोदन
अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा पीएम मुद्रा की सराहना
अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने 2017 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों को धन की तक पहुंच प्रदान करने में सफल रही है। अप्रैल, 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का उद्देश्य बिना बैंक खाते वाले परिवारों पर प्रधानमंत्री जनधन योजना के उद्देश्‍य को पूरा करते हुए जमानत-मुक्त ऋण के प्रदान करके सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के व्यवसायों के लिए औपचारिक वित्त तक पहुंच को सक्षम करना है।
2019 में पुनः अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने मुद्रा योजना की सराहना की और इस बात पर प्रकाश डाला कि माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी के तहत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने विनिर्माण, व्यापार और सेवाओं में लगे सूक्ष्म और लघु व्यवसाय संस्थाओं को ऋण देने वाले वित्तीय संस्थानों को समर्थन देकर सूक्ष्म उद्यमों के विकास और पुनर्वित्त के लिए महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है।
2023 में, अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना महिला उद्यमिता पर विशेष ध्यान देने के साथ जमानत मुक्त ऋण प्रदान करती है। इस योजना ने महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई की संख्या को बढ़ाने में मदद की है, जो अब 2.8 मिलियन से अधिक है।
2024 की रिलीज़ में अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उद्यमिता के लिए एक सक्षम नीति वातावरण ऋण के माध्यम से स्वरोजगार और औपचारिकता को बढ़ाने में योगदान दे रहा है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिपोर्ट
साहसिक सपनों का दशक: अधिक साहसी, अधिक विशाल और वास्तव में सुंदर
मुद्रा पर भारतीय स्टेट बैंक की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि किस प्रकार मुद्रा ने विशेष रूप से हाशिए पर पड़े समूहों, महिलाओं और सूक्ष्म व्यवसायों के लिए उद्यमशीलता के परिदृश्‍य को बदल दिया है ।
विकास का एक दशक: शिशु से किशोर ऋण तक


पिछले 10 वर्षों में, मुद्रा ने 52 करोड़ से ज़्यादा लोन खाते खोलने में मदद की है, यह उद्यमशीलता गतिविधियों में भारी उछाल दर्शाता है। किशोर लोन (50,000- 5 लाख रुपये), जो बढ़ते व्यवसायों का समर्थन करते हैं, वित्त वर्ष 16 में 5.9 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 44.4 प्रतिशत हो गए हैं, जो सूक्ष्म से छोटे उद्यमों की ओर एक स्वाभाविक प्रगति को दर्शाता है। तरुण श्रेणी (5 लाख-10 लाख रुपये) भी लोकप्रिय हो रही है और यह साबित करती है कि मुद्रा सिर्फ़ व्यवसाय शुरू करने ही नहीं बल्कि उन्हें बढ़ाने में भी मदद करती है।
एमएसएमई ऋण बूम: एक मजबूत व्यापार इकोसिस्‍टम
भारतीय स्‍टेट बैंक की रिपोर्ट में मुद्रा के प्रभाव से एमएसएमई के ऋण प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है। एमएसएमई ऋण वित्त वर्ष 2014 में 8.51 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 27.25 लाख करोड़ रुपये हो गया और वित्त वर्ष 2025 में 30 लाख करोड़ रुपये को पार करने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2024 में एमएसएमई ऋण कुल बैंक ऋण का लगभग 20 प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 2014 में 15.8 प्रतिशत था, जो भारत की अर्थव्यवस्था में इसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। इस ऋण विस्तार ने छोटे शहरों और गांवों में व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्राप्‍त कराने का काम किया है जो पहले उपलब्ध नहीं थी, जिससे भारत की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है और जमीनी स्तर पर रोजगार सृजन हुआ है।
वित्तीय समावेशन: महिलाओं और हाशिए पर पड़े समूहों को सशक्त बनाना
मुद्रा योजना ने वित्तीय समावेशन को और मजबूत किया है, इससे यह सुनिश्चित हुआ है कि उद्यमिता केवल कुछ खास लोगों तक सीमित न रहे। भारतीय स्‍टेट बैक की रिपोर्ट से पता चलता है कि 50 प्रतिशत मुद्रा खाते एससी/एसटी और ओबीसी उद्यमियों के हैं, जो पारंपरिक ऋण बाधाओं को खत्‍म करते हैं। सभी मुद्रा लाभार्थियों (ऋण खातों) में से लगभग 68 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों को सशक्त बनाने में इसके प्रभाव को उजागर करती हैं। मुद्रा ऋण धारकों में से 11 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जो समावेशी विकास को और सुनिश्चित करते हैं।
पिछले नौ वर्षों में (वित्त वर्ष 2016 की तुलना में वित्त वर्ष 2025) प्रति महिला पीएमएमवाई संवितरण राशि 13 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 62,679 रुपये हो गई, जबकि प्रति महिला वृद्धिशील जमा राशि 14 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़कर 95,269 रुपये हो गई, जिससे पीएमएमवाई जमीनी स्तर पर महिला सशक्तिकरण के लिए एक प्रभावी साधन बन गई है।
जिन राज्यों में महिलाओं को दिए जाने वाले संवितरण का हिस्सा अधिक है, वहां महिलाओं के नेतृत्व वाले एमएसएमई द्वारा रोजगार सृजन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिससे आर्थिक सशक्तीकरण और श्रम बाजार भागीदारी को बढ़ावा देने में लक्षित वित्तीय समावेशन नीतियों की प्रभावकारिता को और मजबूती मिली है।
बड़े ऋण, मजबूत व्यवसाय
योजना के तहत स्वीकृत/वितरित कुल ऋणों का आकलन करने पर पता चलता है कि इसके लॉन्च के बाद से, पीएमएमवाई के अद्वितीय विक्रय प्रस्ताव को विविध इच्छित लाभार्थी वर्गों द्वारा अच्छी तरह से प्राप्त किया गया है, जिससे निचले तबके की आर्थिक क्षमता बढ़ी है। ऋणों की औसत मात्रा का आकार लगभग तीन गुना यानी वित्त वर्ष 2016 में 38,000 रुपये से वित्त वर्ष 2023 में 72,000 रुपये और वित्त वर्ष 25 में 1.02 लाख रुपये तक हो गया है। यह पैमाने की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं और बाजार के विस्‍तृत होने का एक संकेत है। इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2023 में ऋण वितरण में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो उद्यमशीलता के आत्मविश्वास के मजबूत और फिर से बहाल होने का संकेत है।
स्‍टेटबैंक की हालिया रिपोर्ट में मुद्रा ऋण के विस्तार की प्रशंसा की गईभारतीय स्टेट बैंक ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला है कि बजट 2025 के तहत होमस्टे के लिए मुद्रा ऋण के विस्तार की घोषणा ने पर्यटन क्षेत्र में छोटे व्यवसायों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर खोला है, जिसमें शिशु श्रेणी के तहत 1,500 करोड़ रुपये की संभावित ऋण राशि है। सरकार की इस पहल का उद्देश्य पर्यटन से सम्‍बंधित व्यवसायों में उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर स्थानीय आतिथ्य क्षेत्र को बढ़ावा देना है।
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