अहिंसा अपरिग्रह से,जीवन सत्ता साकार
सर्वत्र समता समानता,नैतिकता युक्त परिवेश ।
गमन सत्य न्याय पथ,
शमित हर उग्र आवेश ।
शिक्षा दीक्षा सुसंस्कार संग,
जीवन पाता उत्तम आकार ।
अहिंसा अपरिग्रह से,जीवन सत्ता साकार ।।
आध्यात्म लोकतंत्र पटल,
अनवरत आनंद स्पंदन ।
विलोपित परस्पर विभेद ,
सर्वत्र सुख शांति वंदन ।
शुद्ध सात्विक वैचारिकी पट,
सदा अवतरित सदाचार ।
अहिंसा अपरिग्रह से,जीवन सत्ता साकार ।।
पर शोषण व अति संचय,
हिंसा पर्याय प्रतिरूप ।
जीवन जागरण नित अहम,
सीमितता आदर्श तुरुप ।
उपभोग उपयोग दोऊ बिंदु,
संयमितता मूल आधार ।
अहिंसा अपरिग्रह से,जीवन सत्ता साकार ।।
त्याग प्रेम करूणा अंतर,
अमृत सागर विशाल ।
प्रकृति उत्संग आनंद निर्झर,
ओजस्वी यशस्वी मनुज भाल ।
पर कल्याण हित चिंतन सह,
सदा धर्म कर्म जय जयकार ।
अहिंसा अपरिग्रह से,जीवन सत्ता साकार ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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