वसुंधरा पृथ्वी भूमि
समस्त माताओं बहनों एवं बंधुओं को सपरिवार विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक बधाई एवं बहुत बहुत शुभकामनाऍं ।धरती धरा जमीन वसुंधरा ,
भूमि धरणी और धरातल ।
सृष्ट जीव रहते चलते खाते ,
व्योम तले ये धरा का तल।।
जिस धरा पर रहते हम हैं ,
जिस धरा को जोतते बोते हैं ।
जिस धरा से अन्न हैं उगाते ,
जिस धरा पे खाकर सोते हैं ।।
जिस धरा पे हम खेले कूदे ,
जिस धरा बालपन बिताए ।
बहुत कुछ किए हम धरा पर ,
बहुत वादे भी हम निभाए ।।
कुछ अपराध भी किया हमने ,
पावन धरा मल मूत्र फैलाए ।
तेरे गोद जन्म पले बढ़े हम ,
तुम्हीं पे अहंकार हम दिखाए ।।
तुम्हीं कहलाती क्षमामयी माते ,
करुणा बरसा कर दे तू क्षमा ।
नमन नमन तुझे कोटि नमन ,
चलना सीखा दे स्व हाथ थमा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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