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आत्मा का अमोघ अस्त्र है आवाज जहानाबाद ।

आत्मा का अमोघ अस्त्र है आवाज जहानाबाद ।

विश्व आवाज दिवस के अवसर पर, स्थानीय साहित्यकार एवं इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने मानव आवाज के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे "मानव की आत्मा का अमोघ अस्त्र और शस्त्र" बताया। उन्होंने 16 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाए जाने वाले इस दिन को हमारी आवाजों के महत्व को पहचानने, स्वर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और भाषण एवं गायन के माध्यम से संचार की शक्ति की सराहना करने का दिन बताया।श्री पाठक ने कहा कि मानव आवाज एक अद्वितीय उपहार है, जिसका हमें सम्मान करना चाहिए और उसकी देखभाल करनी चाहिए। उन्होंने विश्व आवाज दिवस के उद्देश्यों पर जोर देते हुए कहा कि यह दिन स्वर स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने, आवाज की समस्याओं को रोकने, क्षतिग्रस्त आवाजों के पुनर्वास और आवश्यकता पड़ने पर सहायता लेने के महत्व को रेखांकित करता है।विश्व आवाज दिवस, जो प्रत्येक वर्ष 16 अप्रैल को मनाया जाता है, एक वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम है जो संचार और अभिव्यक्ति में मानवीय आवाज के महत्व का जश्न मनाने के लिए समर्पित है। इस अवसर पर दुनिया भर में कार्यशालाएं, सेमिनार और संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को स्वर देखभाल और आवाज की कला के बारे में शिक्षित करना है। पिछले वर्ष 2023 का विषय, "आपकी आवाज मायने रखती है", बदलाव लाने में व्यक्तिगत आवाजों के महत्व को दर्शाता है। विश्व आवाज दिवस की शुरुआत 1999 में ब्राजील में राष्ट्रीय आवाज दिवस के रूप में हुई थी, जिसने बाद में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की। 2002 में संयुक्त राज्य अमेरिका में इसे आधिकारिक तौर पर विश्व आवाज दिवस के रूप में मान्यता मिली।इस अवसर पर, श्री पाठक ने लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी आवाज का ध्यान रखें और स्वर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली आदतों को अपनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि हमें दूसरों की आवाजों का सम्मान करना चाहिए और संचार के इस महत्वपूर्ण माध्यम की शक्ति को समझना चाहिए। विश्व आवाज दिवस स्वर स्वास्थ्य, संचार और कलात्मकता सहित आवाज से संबंधित विभिन्न पहलुओं के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाता है। यह आवाज संबंधी समस्याओं का शीघ्र पता लगाने और उनके उचित उपचार को प्रोत्साहित करता है। यह दिन स्वर स्वच्छता और देखभाल के महत्व पर भी जोर देता है।
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